

धनुरासन करने के लाभ इस आसन को करते समय शरीर की आकृति धनुष के समान हो जाती है, इस कारण इस आसन का नाम धनुरासन है | विधि- पेट के बल उल्टे लेट जाएं | दोनों हाथों को कमर के पास रखें | दोनों पैरों को पीछे से सर की तरफ घुटनों को मोड़ते हुए दोनों हाथों से दोनों पैरों के अंगूठे पकड़ कर हाथों की सहायता से पूरे शरीर को ऊपर उठाएं , जमीन पर केवल पेट का कुछ भाग रहेगा शेष ऊपर उठ जाएगा | सावधानी- इस आसन को करते समय श्वास भरते हुए पेट से ऊपर वाले भाग को पीछे ले जाना है व पूर्ण धनुरासन की स्थिति में आने पर श्वास-प्रश्वास को सामान्य गति से लेना है | भोजन करने के कम से कम छह घंटे बाद इस आसन को करना चाहिए |जिनको रीढ़ की हड्डी से सम्बन्धित कोई समस्या है उन्हें अपनी सामर्थ्य के अनुसार योग्य शिक्षक के निर्देशन में इस आसन को करना चाहिए | लाभ- १) इस आसन को करने से नाभि टलना आदि रोग ठीक होते है | २) स्त्रियों के मासिक-धर्म सम्बन्धी विकारों में लाभदायक है | ३) यह आसन पेट व पाचन तंत्र को ठीक रखता है | ४) पेट की गैंस आदि से भी यह आसन निजात दिलाता है | ५) पेट की कब्ज को भी यह दूर करता है | ६) मूत्र रोगियों के लिए भी यह आसन उपयोगी है | ७) इससे गर्दन व कंधो की मासपेशिया मजबूत होती हैं | ८) मेरुदंड लचीला बनता है व कमर दर्द दूर होता है | योग्य शिक्षकों की देखरेख में ही इस प्रकार के आसनों का अभ्यास करना चाहिए |