

उत्तम स्वास्थ के लिए आसनों का महत्त्व संस्कृत में 'शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनं ' कहकर शरीर की उपयोगिता के विषय मे लिखा है कि शरीर ही सब कामों को करने का साधन है यदि शरीर ही रोगी हो गया तो सारे कार्य रुक जाते हैं | सगे सम्बन्धी भी तभी तक हमारे साथ खड़े दिखाई देते हैं जब तक हम स्वस्थ होते हैं , गंभीर बीमारियों के आने पर अपने भी साथ छोड़ जाते हैं | इसलिए हमें प्रयास करना चाहिए कि हम कभी भी दूसरों पर आश्रित न हों | इसके लिए हमें अपने स्वास्थ्य का अपने आप ध्यान रखना होगा | नियमित 30-40 मिनट तक किया गया योगाभ्यास आपको जीवन भर उत्तम स्वास्थ्य प्रदान कर सकता है | अपने आप आसान, प्राणायाम आदि करने पर कभी कभी आलसस्य के कारण हम नियमित योगाभ्यास आदि नहीं कर पाते व कुछ दिनों बाद ही हम आसान आदि करना बंद कर देते हैं | इसलिए हमें ऐसे समय में एक उत्तम व प्रशिक्षित योगशिक्षक की आवश्यकता होती है | YOGSUTRAA YOGA AT HOME टीम द्वारा केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व के अनेक देशों में ऑनलाइन व प्रत्यक्ष रूप से प्रशिक्षित महिला व पुरुष शिक्षकों द्वारा कक्षाएं प्रदान की जाती हैं | आप भी इस सुविधा का लाभ अपने घर पर प्राप्त कर सकते हैं | आसन - व्यायाम के लाभ- आयुर्वेद के ग्रन्ध भावप्रकाश में लिखा है - लाघवं कर्म सामर्थ्यं विभक्त-घन-गात्रता | दोषक्षयोsग्नि -दीप्तिश्च व्यायामादुपजायते || व्यायाम दृढ गात्रस्य व्याधिर्नास्ति कदाचन | विरुद्धं वा विदग्धं वा भुक्तं शीघ्रं विपच्ते || अर्थात् प्रतिदिन व्यायाम करने से शरीर हल्का रहता है, शरीर के अङ्ग-प्रत्यङ्ग पुष्ट व सुन्दर बनते हैं |गैस बनना, खट्टी डकारे आना व शरीर में अनावश्यक क़फ बनना भी बंद हो जाता है व भूख भी समय पर लगने लगती है | व्यायाम करने से शरीर के अंग बलशाली हो जाते हैं व रोगों की संभावना भी स्वतः ही समाप्त हो जाती है |आसान, व्यायाम करते रहने पर कभी भूलवश अथवा स्वाद के कारण कभी ज्यादा अथवा तला, भूना , मिर्च मसाले वाला भोजन कर लेने पर भी शरीर उसको आसानी से पचा लेता है व आसान आदि के न करने पर सामान्य भोजन भी मुश्किल से पचता है | आज-कल की भाग -दौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य के मन में मानसिक तनाव बढता जा रहा है | इस संघर्ष भरे जीवन में सभी कार्यों का संतुलन बनाकर चलना भी बड़ा कठिन है परन्तु यदि आप नियमित एकाग्रचित होकर ध्यान का अभ्यास करते हैं तो मानसिक तनाव समाप्त किया जा सकता है व सभी कार्यों को करने में संतुलन बनाया जा सकता है | आसनों से शरीर का व्यायाम, मानसिक संतुलन तथा आत्मिक शांति मिलती है | उचित व्यायाम के अभाव में शरीर की चर्बी बढ़ने लगती है | विशेषकर पुरुषों का पेट बढ़ने लगता है व स्त्रियों की कमर का निचला भाग अनावश्यक रूप से भारी हो जाता है |ऐसी अवस्था में यदि समय रहते ध्यान न दिया जाए तो हृदय रोग, रक्तचाप , मधुमेह , वायुविकार आदि शरीर को अपना घर बना लेते हैं | यदि नियमित रूप से व्यायाम आदि किया जाए तो मानसिक शांति के साथ-साथ हम अनेक रोगों से भी बच सकेंगे व अस्पतालों में न जाकर आर्थिक रूप से भी सक्षम बन सकेंगे |